Wednesday, 22 April 2015

राष्ट्रपति जी से 11 सूत्रीय मांगें...



सेवा मे,                                                                                                                                                       
महामहीम राष्ट्रपति जी
भारत गणराज्य 

महोदय,

मैं भारत का एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते आपको यह खुला पत्र लिख रहा हूँ| पिछले कुछ सालो मे हुए घटनाक्रम ने मुझे अन्दर से झाक्जोर रखा है और मैं सोचने पर मजबूर हूँ के कृषि प्रधान देश मे कृषि के प्रति असंवेदना क्यों है? कृषि के मानव संसाधन के विकास की बात योजना के केंद्र मे क्यों नहीं है? क्या दूरसंचार और सूचना प्रोद्योगिकी का प्रयोग कृषि के लिए नहीं किया जा सकता है? क्या हम बाढ़ और सूखे के लिए पहले से प्रयत्न नहीं कर सकते है? क्या असमय बारिश और ओलावृष्टि का हमारे पास कोई उपाय नहीं है? क्या कृषि बस कच्चे माल की फैक्ट्री बनकर रह गयी है? क्या गाँव केवल बाज़ार और लेबर हब बनकर काम करने वाले है? क्यूँ आज किसान अपने बच्चे को किसान नहीं बनाना चाहता है? क्यूँ किसान आज आत्महत्या करने पर मजबूर है?

महोदय, मैं इन सवालो के जवाब खोजते खोजते खो जा रहा हूँ| राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते, भारत के प्रथम व्यक्ति होने के नातें, आप हमारे देश के सभी नागरिको के अभिभावक है| और अभिभावक से अपने सवालो के जवाब मांग सकते है| इस दुविधा की घडी में में आपसे मेरी प्रार्थना की कृषि के लिए निम्न बिंदूओं पर विचार किया जाये:

  1. कृषि को एक पूर्ण व्यवसाय का दर्जा क्यों नहीं दिया जाता? क्या कृषि भूमि का किराया किसान की लागत में नहीं आता? क्या कृषि भूमि की अवसर लागत (Opportunity Cost) नहीं होती?
  2. क्या न्यूनतम समर्थन मूल्य मे कृषि की वास्तविक लागत को पूरा नहीं करना चाहिए?
  3. क्या किसान हमेशा उगाने का काम करके ग़रीब ही रहेगा या फिर उसको प्रसंस्करण (Food Processing) मे पारंगत करके बिचोलियों को हठाने का प्रयास किया जायेगा?
  4. हम मानते है की मौसमी बदलाव (Climate Change) के असर को हम नहीं रोक सकते, लेकिन क्या हम इतने असहाय है कि अपने अन्नदाता को ऐसे तिल तिल मरते देखेंगे! क्या हम फसल बीमा पर पुख्ता काम करने का काम करेंगे? और बीमा कंपनियों की जवाबदारी तय की जाएगी?
  5. क्या दूरसंचार और प्रोद्योगिकी का प्रयोग हम मौसम के बेहतर अनुमान और उसके जनता तक पहुच को संभव बना पायेंगे? यहाँ आपको अवगत करना चाहूँगा कि हिमालयी क्षेत्रों में डॉप्लर राडार आज तक नहीं लगे है| क्या सच में हम सुधार करना चाहते है?
  6. क्या हम कृषि अनुसंधान को किसान केन्द्रित करना चाहते है या फिर किसान को खुले बाज़ार के हवाले करके उसको मर जाने के लिए छोडना चाहते है जहाँ उसको बीज, खाद और कीटनाशक के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मुहं देखना पड़े?
  7. क्या देश उन्नत कृषि के नाम पर जहर ही खाता रहेगा और कैंसर स्पेशल जैसी ट्रेनों में और इजाफ़ा होगा या फिर देश अपनी परंपरागत वैज्ञानिक खेती की और अग्रसर हो सकेगा जहाँ किसान को ना बीज खरीदना पड़ता था ना खाद ना कीटनाशक?
  8. क्या किसान के दक्षता विकास की और कुछ कदम उठाये जायेंगे?
  9. क्या किसान संगठन के लिए कुछ कार्य किये जायेंगे?
  10. क्या सरकारों की जवाबदेही तय की जाएगी?

मुझे आशा है की मेरे देश के मुखिया होने के नाते, मेरे अभिभावक होने के नाते, आप मेरी इस दुविधा का समाधान देंगे | यह खुला पत्र भी इसी लिए लिखा है ताकि सोशल मीडिया के जरिये आप तक पहुँच पाए अन्यथा रास्ते मे बहुत बैरियर आते है |

जवाब की आशा मे!

आपका
रितेश गर्ग
Ritesh.garg01@gmail.com

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