Tuesday 24 May 2011

पूर्वोतर भारत की यात्रा



मैं बहुत ज्यादा उत्साहित था. मैं आज भारत के उस हिस्से की यात्रा करने जा रहा था, जिसको सुदूर भारत कहा जाता था, जिसके बारे में अलग कहानिया-किस्से थे. मैं मुंबई से 30 अप्रैल को गुवाहाटी के लिए विमान में सवार हुआ. सुबह का समय था, उडान 7:20 की थी  एअरपोर्ट पर रिपोर्टिंग का समय मैंने 6 बजे निर्धारित किया था. 29 के रात को मुंबई में अपने कॉलेज के एक सर के यहाँ स्टे किया था अँधेरी में. अँधेरी में  रूकने का कारण था, उसका एअरपोर्ट से पास होना! 
30 अप्रैल, सुबह के 5:45 का समय था और मैं और मुकुंद सर ऑटो और टक्सी के लिए कभी इधर तो कभी उधर घूम रहे थे. कोई भी जाने के लिए तैयार नहीं था. कारण पूछने पर पता चला के एअरपोर्ट ज्यादा पास है! किसी तरह से एक टक्सी मिली और मेरा प्रस्थान एअरपोर्ट के लिए हुआ. यह इतने सुबह की मेरी पहली उड़ान थी. सुबह में मुंबई का आसमान से नज़ारा देखना अपने आप में एक सुखद एहसास था. वो समंदर से होते हुए छोटी पहाडियों का नज़ारा दिल को छु रहा था. धीरे धीरे बादलो में पहुचे तो लगा परी लोक में आ गए है. 
असली परीक्षा तो अब शुरू होती है, यह उड़ान 7 घंटे के थे. और 2 अलग अलग जगह पर रूकने वाले थे. बाहर का नज़ारा कितने देर किसी को बांधे रख सकता है. कभी न कभी तो सपना टूटता ही है. थोड़े से फोटोग्राफ्स लेने के बाद मुझे भी लगा यह सब कब तक चलेगा. कोई नहीं अभी भी मुझे भारत के उस हिस्से ने रोमांचित किया हुआ था. मैं अभी भी उसकी कल्पना में डूबा हुआ था. अचानक से घोषणा होती है की  "कोलकाता एअरपोर्ट पर आपका स्वागत है. बाहर का तापमान 30 डिग्री है."  यात्रियों का उतरना शुरू हुआ और विमान को इंतजार था नए यात्रियों का, जो कोलकाता से सवार होने वाले थे. अंततोगत्वा विमान ने 1 घंटे बाद वह से अगरतला के लिए उडान भरी. कुछ १ घंटे के बाद अगरतला आने वाला था. और विमान से नीचे का नज़ारा काफी अच्छा था. पानी से भरे हुए खेत दिख रहे थे, घरो की संरचना झोपडी के तरह थी, जिनपर टिन की छत थी जो सूरज के रोशनी से चमक रही थी. 
अगरतला में भी कोलकाता एअरपोर्ट वही कहानी वापस दोराही गयी और वहां से भी विमान ने 1 घंटे के बाद उड़ान भरी. अभी में काफी रोमांचित हो गया था, बादलो से होती हुए यात्रा जो सिर्फ आधे घंटे में खत्म होने वाली थी, कभी कभी नदी और पहाड़ो के दर्शन भी दे रही थी. हरे पेड़ो से ढके हुए पहाड़ एक सुखद एहसास दे रहे थे और मुझे बोल रहे थे कि तुम अभी तक उस इमारतों के जंगल में क्या कर थे? मुझे लगा के वो मुझे चिढ़ा रहे है और कह रहे है कि तुमने अभी तक जिया तो क्या जीया.
बाहर आते ही पता चला कि बैग का हाथा उडान के दौरान टूट चूका है और उसको ठीक करने के भरसक प्रयास किये गए जिससे वो सही होने के बजाय ओर ख़राब हो गया. शिकायत करी तो हवाई कंपनी बोलती है "कोलकाता वालो की गलती हो सकते है. यहाँ शिकायत हमारी गलती में गिनी जाएगी". फिर मैंने शिकायत लिखित में की ओर बताया के वो कितना बड़ा नुकसान हो सकता था. और हाँ, ऐसा नहीं था कि मैं वहां अकेला शिकार हुए था, मेरे साथ काफी सारे लोग थे, पर कोई कुछ बोल नहीं रहा था. मेरे बोलते ही सब जैसे उठ खड़े हुए. वहां मुझे लगा कि भारत की जनता को हर पल एक नेता के जरुरत है. "वाह रे मैकाले तुने देश की आगे की  कई पीढियों को अपंग बना दिया है!!!"   
ओर इस तरह गुवाहाटी तक पहुँचने  का सफ़र पूरा हुआ. 

11 comments:

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  2. Insightful. I almost felt like it was me taking that flight. And the ending was the best part. Keep traveling, keep writing... :)

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  5. Bhai ek blog main tu Indian Railway ki tarif kar rha hai aur isme Indian Airways ki, agla blog may be related to roadways

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  6. ritesh aapne bahut acha likha hai. mujhe nahi pata tha ki aapki hindi itni achi hai. gr88 keep writting..:) and indian railways ko to sahi main salaami thokni padegi.. had paar kar di hai. bihar ka accent bahut jaldi pakad liya aapne.. lolzzz :D.. indian airways ka bhi jawaaab nahi hai.. t.c

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  7. Musafirnama was really nice............it really taught us the reality of both Indian railways and airways........and a leader like u to improve both...........

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  8. beautifully written n heart touching lines.........

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  9. I loved the bhagalpur one. The true India. Must be a crazy ride. But it teaches you a lot.

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  10. इस देश में हत्थों के टूटने से ही सपने पूरे होते हैं। रीतेश जी, पूर्वोत्तर तक पहुंचने की आपकी यात्रा निश्चित रूप से अविस्मरणीय रही। पढ़कर मजा आया। यात्रा वृत्तांत का शिल्प बहुत अच्छा है..... लिखते रहिए... यायावरी के साथ अथातो घुमक्कड़ी जिज्ञासा का समन्वय भी जरूरी है.... बहुत बहुत बधाई

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  11. kahaani bhi likhne lage hoooooo........good yaar. really nice...

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