"भारत एक बेहद खूबसूरत और विविधताओं वाला देश है", ऐसा मैंने बचपन से किताबो में पढ़ा, लोगो से सुना और फिल्मो में देखा था. कभी भी मुझे कही घूमने जाने का मौका मिलता, मैं उसे गंवाना उचित नहीं समझता......इतिहासकारों का लिखा भारत यात्रा का वृत्तांत पढ़कर, लोगों की टीका टिप्पणी सुनकर मेरा मन हमेशा हिलोरें मारता। यही नहीं, डिसकवरी पर देखे सभी प्रोग्राम मुझे रोमांचित करते थे कि मैं भी भारत के उन हिस्सों का दौरा करूं, उसका एक सुखद एहसास लूं.....प्रकृति की गोद में जाऊं, गाँव में रहूँ, देश के के लोगो से मिलूँ, और भारत को करीब से देखूं......!!!! मैं भी भारत घूमना चाहता था!!!
2010 में मुझे जाग्रति यात्रा में अपनी सेवाएँ देने का अवसर मिला..और काम मिला जागृति की जागृति करने का और उसका कार्यक्षेत्र था सम्पूर्ण भारतवर्ष!!! मानो जैसे एक प्यासे को झर- झर करके बहता हुआ एक झरना मिल गया हो और प्यासा अब अपना सब कुछ उस पर न्योछावर कर देना चाहता हो!!!! और जागृति का मकसद "उद्यम जनित विकास" (Enterprise Led Development) को दिल में रखकर मैंने अपनी भारत यात्रा का शुभारम्भ जनवरी 2011 में बनारस की यात्रा से किया.
जून 2011 तक मैंने भारत के उत्तर पूर्व से लेकर सुदूर दक्षिण और गुजरात से उत्तर भारत तक 21 राज्यो की यात्रा की और भारत को एक अलग नज़रिए से देखा. इस लगभग 40000 किलोमीटर की भारत यात्रा में विभिन्न युवाओं से मिलने और बात करने का मौका मिला, वहां की स्थानीय अवसर और चुनौतियों से रूबरू होने का मौका मिला, और साथ ही साथ वहां की संस्कृति और उसके मूल पहलू को समझने का मौका मिला. इस यात्रा में सबसे बड़ी बात यह थी कि मैंने यह सोच लिया था कि मैं किसी पहले से बनी बनायी विचारधारा के प्रभाव में आकर, यह यात्रा नहीं करूंगा!!!!
जब विद्वतजनों से चर्चा होती तो सभी अपने तर्क देते और वहां की सभी बातों से अवगत कराने की कोशिश करते.....पर बात तो यहाँ पहले से कुछ सोचे बिना जाने की थी????? खैर.....जो सोच लिया उस पर अमल तो करना ही था....और मैं अपनी निगाह से अपना देश घूमने लगा. जैसे जैसे आगे बढ़ता, वैसे वैसे अपने वतन से मोहब्बत बढ़ती सी जा रही थी. हर एक उस शब्द का मतलब समझ आता जा रहा था जो बचपन से पढ़ा, सुना या देखा था....
इतनी लम्बी यात्रा करके जिसमें पहाड़, पर्वत, नदी, झरने, समुद्र, रेगिस्तान, पठार, जंगल सभी शामिल थे, जिसमें नाना प्रकार की सांस्कृतिक विविधताएं थीं, चाहे वो धर्म की हो, भाषा की हो, खान-पान की हो, या फिर रहन-सहन की.....पर मुझे सभी एक समान लगे!!! मुझे लगा कि अनेकता में एकता का आत्मिक सौंदर्य भारत की हर गली में है। हम सबसे अलग हैं, तभी तो वसुधैव कुटुंबकम का भाव लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
वैसे आपको लग रहा होगा कि गजब पागल है। इतनी विविधताएं होते हुए भी सबको एक जैसा बोल रहा है??? जी हाँ, मुझे भी अपने पहली बार ऐसा ही लगा था. लेकिन बाद में समझ आया कि ऐसा क्या है जो एक समान है?? ऐसा क्या है जो भारत को भारत बनाये हुए है?? ऐसा क्या है जो एकता को अक्षुण्य रखे हुए है??
इन सभी सवालों के जवाब तो तलाशने ही होंगे... मेरी मुहिम भी यही है और कोशिश भी यही।
हां... कुछ ऐसा ही है अपना भारत....अद्भुत.. अविस्मरणीय, सबसे अलग....
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा... एक यायावर की कलम बलवती हो रही है... कलम बोले तो, की बोर्ड पर नाचती अंगुलियां... शायद कलम का रूप लेकर मन से दोस्ती कर चुकी हैं...
बहुत बहुत बधाई
Very well written brother.... very simply xpressed.... looks like very original expression...
ReplyDeletewen u end an article with questions u provoke thoughts among readers and those thoughts can be stringed further to give more clarity to the vision or the idea, so gud job boss, u made us think
ReplyDeleteNeed of extension.....well written....Badhai
ReplyDeleteItni badi yaatra itne chhote se lekh mein??
ReplyDeleteDo write more about your experiences .... The write up is good but not enough :)
nice and subtle expressions !!
ReplyDeleteit feels more realistic while reading as I personally know that you have had a first hand experience of all the things you have hinted at.
simple and innocent. Well written :)
awesome man. mast hai bilkul. a genuine description of India. Hats off to you.
ReplyDeletegood work dear.........may God
ReplyDeletekeep ur spirits high
this is the beauty of our country..u can get d taste of everything, from deserts to snow, forest to grasslands, tribes to western culture...everything...luv my country a lot...i know how gud u r feeling after seeing it so close...nice article..liked it ...go ahead mann..discover it more..
ReplyDeleteyou are having the opportunity to explore our country,and after reading your blog i can see that you are quite enjoying it while learning a lot.blog is written very beautifully ,no doubt.
ReplyDeletekeep sharing your experiences ritesh ji.
This is indeed India!
ReplyDeleteThe land of dreams and romance, of fabulous wealth and fabulous poverty, of splendour and rags, of palaces and hovels, of famine and pestilence, of genii and giants and Aladdin lamps, of tigers and elephants, the cobra and the jungle, the country of hundred nations and a hundred tongues, of a thousand religions and two million gods, cradle of the human race, birthplace of human speech, mother of history, grandmother of legend, great-grandmother of traditions, whose yesterday's bear date with the modering antiquities for the rest of nations-the one sole country under the sun that is endowed with an imperishable interest for alien prince and alien peasant, for lettered and ignorant, wise and fool, rich and poor, bond and free, the one land that all men desire to see, and having seen once, by even a glimpse, would not give that glimpse for the shows of all the rest of the world combined.
~~~ Mark Twain
I am proud that one of us is experiencing such a pleasure. After this blog of yours, some of the ideas that had seemed so crazy suddenly made much more sense to me.
Very nice write up in simple language... touches the heart keep it up buddy! Thanks for visiting my blog. TC
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