"आज भारत में राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार का बोलबाला हैं.".... हाल फिलहाल में यही समाचार सभी की जुबान पर है, और सभी न्यूज़ चैनल और अखबार वाले भी यही बोल रहे हैं. हर एक व्यक्ति आज इस समस्या से तंग आ चुका है और इससे निजात पाने की जुगत में लगा है, शायद अन्ना हजारे का आन्दोलन इसी रास्ते की एक आशा एक आम आदमी को नज़र आता है और वो खुद को अन्ना कहने लगा है!!! सच में यह आन्दोलन काफी सारे सवालो को खड़ा करता है और उनके जवाब ढूँढने को मुझे ही नहीं, न जाने कितने लोगो को परेशान करता है!!!!
ऐसा ही एक सवाल मुझे कौंधे जा रहा था, क्या कारण है कि आज यह समस्या भारत के हर एक हिस्से में फ़ैल चुकी है और न केवल शासन, प्रशासन बल्कि हर कोई इसकी गिरफ्त में आता नज़र आता है और हर कोई इससे परेशान भी है?????? इसमें लिप्त होते हुए भी हर कोई इससे परेशान है, क्यूँ??? आखिर इस भ्रष्ठाचार की जड़े है कहाँ? इसकी शुरुआत कहाँ से होती है और इसका पालन-पोषण कैसे होता है?? यें प्रश्न मेरे लिए कुछ उस तरह के लगे जैसे, "अंडा पहले आया या मुर्गी???"
बात शुरू करते है वैदिक काल से, जहाँ बारिश चाहिए तो देवताओं को हवि (बलि) दी जाती थी, हवन किये जाते थे, उनको खुश किया जाता था, उससे थोडा आगे बढे तो समाज में आज भी वही परम्परा चली आ रही है. आज हम अपने बच्चो को बचपन से यही तो सिखा रहें है, परीक्षा में पास होने के लिए आसान रास्ता दिखाते है उनको....कोचिंग क्लास का चलन कहीं न कहीं इसी आसन रास्ते की और बढ़ता कदम ही है....
आज हर एक चीज़ आसानी से पाने की होड़ लगी है मानो!! हर कोई लगा है जल्दी के पीछे.....आखिर यह जल्दी कैसे होगी? कहाँ से आएगा यह शोर्ट कट?? आखिर किन लोगो को पीछे छोड़ा जायेगा?? किनके अधिकारों का अतिक्रमण करके आगे निकलेगा यह समाज? आखिर किसको दबाया जायेगा???
इन सवालो का जवाब भ्रष्टाचार के राज को खोलता हैं. आज जिस रावण की बात पूरा देश कर रहा है और जिसके लिए जन लोकपाल की बात अन्ना कर रहे है, क्या आखिर उस समस्या का समाधान केवल एक कानून बनाने मात्र से हो जायेगा??? यह एक बड़ा प्रश्न मुझे कौंधे जा रहा.......कानून तो देश में बड़े बड़े हैं, पर क्या उनका इस्तेमाल सही तरीको से किया जाता है?? क्या कानून बनाने और लागू कराने के लिए, लोगो की सोच को बदलना जरुरी नहीं है? क्या समाज में छुपी हुई उन दकियानूसी बातों और परम्पराओं को पीछे छोड़ना इसका एक दूसरा इलाज़ नहीं है? क्या आज समाज की दोगली मानसिकता को दूर करना इसका उपाय नहीं है??
अब हमें इन सभी सवालो का जवाब ढूँढना होगा, वरना अन्ना का यह महाआन्दोलन भी तमाम पुराने आंदोलनों की सूची में शामिल होकर रह जाएगा। पहल तो किसी न किसी को करनी होगी... मुझे, आपको... या हम !!!